कंप्यूटर इंजीनियरिंग क्या है और कंप्यूटर इंजीनियर कैसे बने?
- कंप्यूटर इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है जो कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच काम करता है।
- कंप्यूटर इंजीनियर विभिन्न कंप्यूटर सिस्टम डिजाइन और विकसित करते हैं, जिसमें छोटे माइक्रोचिप से लेकर पूरे कंप्यूटर नेटवर्क तक शामिल हैं।
- इस क्षेत्र में प्रोसेसर बनाने, विशिष्ट कार्यों के लिए कंप्यूटर सिस्टम तैयार करने और रोजमर्रा के उपकरणों में उपयोग किए जाने वाले एम्बेडेड सिस्टम को विकसित करने जैसे कई अनुप्रयोग हैं।
Computer Engineering दो शब्दों से बना है Computer + Engineering. जिसमें कंप्यूटर एक ऐसा discipline है जो की Computer और networking से सम्बन्ध रखता है वहीँ Engineering computer hardware से सम्बन्ध रखता है
ये subject intersection होता है Computer Science और Electrical Engineering की. Computer Engineers उन Engineers को कहा जाता है जिन्हें की specific training मिली होती है दोनों hardware और software में.
ये Computer Engineers कुछ ऐसे products बनाते हैं जिसमें दोनों Hardware और Software की knowledge का इस्तमाल होता है. उदाहरण के लिए mobile phone, play stations, computer और video games. ये सभी appliances विगत कुछ वर्षों से बहुत popular हो रहे हैं. इसलिए इस field की demand काफी तेजी से बढ़ रही है.
कुछ fields जो की बहुत ही unique होते हैं Computer Engineering के लिए वो हैं Very Large Scale Integrated (VLSI) systems, computing hardware के लिए और ये एक बहुत ही essential components होते हैं computers के लिए जैसे की memories और electronic circuitry, साथ में analog circuits और digital hardware भी.
India का पहला Computer Engineer कौन है?
Vijay Pandurang Bhatkar जो की सन 11 October 1946 में पैदा हुए थे. इन्हें आप एक computer scientist, IT leader और educationalist भी मान सकते हैं.
लेकिन सबसे ज्यादा जिस चीज़ के लिए इन्हें जाना जाता है वो है इनका योगदान Supercomputer को बनाने के लिए. जी हाँ दोस्तों इनका एक बहुत ही बड़ा योगदान रहा है भारत के पहले Supercomputer PARAM में.
India का पहला Engineer कौन हैं?
अटेंडेड बनाम अनअटेंडेड आरपीए बॉट: मुख्य अंतर
Mokshagundam Visvesvaraya, ये हैं भारत के सबसे पहले Engineer. इनका जन्म सन 15 September 1861 में मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुक में. उन्हें सन १९५५ में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से विभूषित किया गया था.
उनके योगदान को देखते हुए भारत में उनका जन्मदिन अभियन्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है.